श्री रामदेव जी की आरती

पिछम धरां सूं म्हारा पीर जी पधारिया ।
घर अजमल अवतार लियो ।
लाछां सुगणा करे थारी आरती ।
हरजी भाटी चंवर ढोले ।
गंगा जमुना बहे सरस्वती ।
रामदेव बाबो स्नान करे ।
लाछां सुगणा करे...
घिरत मिठाई बाबा चढे थारे चूरमो ।
धूपारी महकार पङे ।
लाछां सुगणा करे...
ढोल नगाङा बाबा नोबत बाजे ।
झालर री झणकार पङे ।
लाछां सुगणा करे...
दूर-दूर सूं आवे थारे जातरो ।
दरगा आगे बाबा नीवण करे ।
लाछां सुगणा करे...
हरी सरणे भाटी हरजी बोले ।
नवों रे खण्डों मे निसान घुरे ।
लाछां सुगणा करे...
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